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Lok Vitt, 5/e

Lok Vitt, 5/e

Author : Dr H L Bhatia

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  • ISBN : 9789354539527
  • Pages : 508
  • Binding : Paperback
  • Language : Hindi
  • Imprint : Vikas Publishing
  • © year : 2022
  • Size : 6.75 X 9.5

Price : 550.00 440.00

इस पुस्तक के प्रथम संस्करण का लेखन लोक वित्त के बढ़ते शैक्षिक और व्यावहारिक महत्त्व को ध्यान में रखते हुए किया गया था। गत वर्षों में इसकी लोकप्रियता में लगातार वृ़िद्ध हुई है। ज्ञातव्य है कि भारत सहित आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं तथा उनके राजकोषीय आयामों में अनथक विकास और परिवर्तन हो रहे हैं जिनके फलस्वरूप इस पुस्तक का नए संस्करणों में पुनर्लेखन किया जाता रहा है।
पुस्तक की भाषा सरल, स्पष्ट एवं रोचक रखने के साथ-साथ इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि इसकी पाठ्य-सामग्री भारतीय विश्वविद्यालयों के पाठय्क्रमों के अनुकूल हो और व्यावसायिक एवं प्रतियोगितात्मक परीक्षाओं में भाग लेने वालों, तथा जनसाधारण के लिए भी प्रत्येक प्रकार से उपयोगी हो। कठिन सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक व्यवस्थाओं और पद्धतियों के मूल तत्त्वों को उभारने का कार्य तथा उनकी व्याख्या में प्रयुक्त उदाहरणों का चुनाव यथासंभव भारतीय परिस्थितियों से किया गया है। पुस्तक में लोक वित्त के सिद्धांतों के अतिरिक्त भारतीय लोक वित्त की स्थिति एवं समस्याओं तथा उनके संभावित समाधनों की व्याख्या को इस ढंग से प्रस्तुत किया गया है कि पाठकगण अपनी आवश्यकतानुसार लाभान्वित हो सकें। हर अध्याय के अंत में हिंदी-अंग्रेज़ी शब्दावली और अभ्यास प्रश्न भी हैं।
यह पुस्तक संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं के लिए भी उत्तम साबित हुई है।

• 2022-23 तक के केन्द्र तथा 2021-22 तक के राज्यों के बजटों का विश्लेषण
• व्ययों के योजना और योजना-भिन्न मदों में वर्गीकरण की समाप्ति, रेल बजट की केन्द्र के मुख्य बजट में विलीनता, तथा अन्य मुख्य नीति संशोधनों का विश्लेषण एवं प्रभाव
• केन्द्र और राज्यों की कर और कर-भिन्न नीतियों में व्यापक संशोधन और उनका राजकोषीय प्रभाव
• कोरोना महामारी का राजकोषीय प्रभाव 

1. विषय प्रवेश
2. लोक वित्त का अर्थ एवं सीमाएँ
3. अधिकतम सार्वजनिक हित का सिद्धांत
4. सार्वजनिक राजस्वः सामान्य विवेचन
5. करों का भार-वहन
6. कर-सिद्धांत
7. करों का वर्गीकरण और चुनाव
8. करों के प्रभाव
9. सार्वजनिक ऋण
10. सार्वजनिक व्ययः सामान्य विवेचन
11. सार्वजनिक व्यय के प्रभाव
12. सार्वजनिक बजट
13. संतुलित बजट और राजकोषीय नीति
14. संघीय वित्त
15. लोक उद्यम
16. भारत में संघीय वित्त व्यवस्था-I
17. भारत में संघीय वित्त व्यवस्था-II
18. भारत का सार्वजनिक ऋण
19. भारत सरकार की वित्तीय स्थिति
20. भारतीय कर व्यवस्थाः कुछ मुद्दे
21. रेलवे वित्त
22. भारत में सार्वजनिक उद्यम
23. राज्य सरकारों की वित्तीय स्थिति
24. भारत में कृषि पर करारोपण
25. स्थानीय वित्त
• परिशिष्ट-1: बजटीय घाटेः अवधारणा तथा परिमापन
• परिशिष्ट-2: लिंग-आधारित बजटीय व्यवस्था 

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